दिल की बात

दिल की बात

कैसी खुशबू है उसकी बातों में
जो उसकी और खींचे जा रही हूँ
एक एहसास फिर जागने लगा है
दर्द से दर्द को पहचानने लगा है
खोने से डरता भी है ,
पास आना भी नहीं चाहता
और दूर जाना भी नहीं चाहता
इश्क़ करना भी नहीं चाहता
और उसकी खुवाहिश रखता है
इश्क़ बया करता भी है
मोहब्बत फिर न हो कहता है वो
पर सपनो कि दुनिया में जीता है वो

सब खुश हो उसकी वजह से सोचता रहता है हर पल
पर खुदकी यादो में तड़प कर अक्सर रोता भी है ,
कह देता है सब कुछ बातों में
पर कह न सका दिल बात को जुबान से
रुक जाता है जज्बातों में !!
जानती हूँ बिना मेरे रह भी नहीं पाता है
और चाहत न बढ़ जाये
करीब नहीं आता है
समझ कर भी लोग अनजान बन जाते है
ये कौन समझ पाता है
ये बहुत इंतज़ार करवाता है !!
अक्सर इश्क़ कि बाज़ी ये दिल हार जाता है ,
ये इश्क़ है जनाब
ये इश्क़ है जनाब
कहाँ आसानी से ये मिल पाता है
कहाँ आसानी से ये मिल पाता है !!

सोमी

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