निडर

खूब लड़ी मर्दानी थी
वो तो झाँसी वाली रानी थी

हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में एक झाँसी की रानी थी जो निडर थी , वो एक लड़की थी जिसने ठानी हुई थी अंग्रेजों को भारत से भगाने की , और वो अपने कर्तव्यों से बंधी हुई थी ,फिर भी उन्होंने अपना धर्म और कर्म दोनों निभाए ,  उनका कर्म ही उनका असली मकसद था , जो दिन भर तो लड़की होने का फर्ज निभाती , धर्म निभाती थी , लेकिन रात में अपना चेहरा छुपाकर कर्म करती थी , अंग्रेजों से लड़ती थी , उनके मन में खौफ बैठाया था रानी लक्ष्मी बाई ने , उन्होंने कभी हार नहीं मानी , तो आज कि लड़कियां हार कैसे मां सकती हैं हम कैसे मान जाएँ जहां लड़कियों को पूजा जाता है एक कन्या के रूप में माँ दुर्गा के रूप में कभी माँ काली के रूप में तो कुछ पापी उन्हें गन्दी नजरों से देखते हैं , लड़कियां सड़क पर चल रही हों तो उन्हें घूरते हैं , जैसे पब्लिक प्रॉपर्टी हो ,ये बात सिर्फ लड़कों की नहीं है , शादी शुदा आदमियों की , और बूढ़े आदमियों की भी है , अगर लड़की ने सूट भी पहना हुआ है तो घूरेंगे , और लड़की ने शार्ट कपड़े पहने है तब तो आँखे नहीं हटाते हैं , और ये बिलकुल नहीं सोचते कि उस लड़की को कितनी सर्मिंदगी महसूस होती है या गुस्सा आता है कि हमारे दादा जी जैसा इंसान या हमारे पिता सामनां इंसान ऐसे घर रहा है केसा कलयुग है , अपने ही घर में बहु बेटियां मां बहन होने के बाद भी बाहर की लड़कियों को गलत नजरों से देखना , उन्हें घूरना गन्दी नजरों से देखना , बस में इधर उधर हाथ लगाना क्या साबित करते हैं , इससे दरिंदगी साबित होती है इंसानियत नहीं , जिस तरह से आज के समय में प्रेम खत्म होकर सिर्फ जिस्मों का खेल होने लगा है , किसी चीज की परवाह न करके और हर बात को कॉमन कह देना सबसे बड़ी दरिद्रता हैं !
अगर लड़कियों की इज्जत नहीं कर सकते तो किसी की आबरू के साथ खेलने का कोई हक़ नहीं है ,क्यूंकि लड़कियां अगर कुछ नहीं कह रही है इसका मतलब ये नहीं कि कोई भी कुछ भी करे , वो जिस तरह से शांत रहती है उसी तरह से फिर कोई झाँसी की रानी बन सकती है , और एक एक दरिंदे को खत्म कर सकती हैं !!
सवाल तो यही उठता है कि जिस तरह कि आपको जिंदगी मिली है उसे ठीक तरह से जीना पसंद क्यों नहीं करते , क्यों अपने मन में गंदगी रखते हो , कहते हैं माहौल का फर्क होता है , तो माहौल को ही अच्छा बनालो , क्यों माहौल को गंदा बनाये हुए हैं , सोच बदलेंगे तभी देश सुधरेगा , वरना बलत्कार होने के बाद लड़कियों को दोषी ठहराते हैं कि वो रात में क्यों निकली , वो अकेली क्यों गयी, या वो पढ़ी लिखी थी उसने पोलिस में फ़ोन क्यों नहीं किया , ये दुनिया तो मरने के बाद भी नहीं छोड़ती ,
मेरी गुजारिश यही रहेगी कि रात में कही लेट आने जाने वाली लड़कियों को उनके घर तक सेफ छोड़ें , न कि उस समय में भी ज्यादा पैसों की मांग करें , अगर कोई लड़की सड़क पर अकेली दिखे तो उसे अपनी बहन या बेटी समझ कर उसको घर तक छोड़ें या फिर उनकी मदद करें !!
और लड़कियों से गुजारिश है कि ऐसी ऐसी फिल्मे देखें जहां से तुम खुद को बहादुर बनाओ , जैसे अकीरा , झाँसी कि रानी , नीरजा और भी बहुत सी बातें हैं जिन्हे अपनांना चाहिए ,छोटी छोटी बच्चियों को भी सलाह दें ताकि उनके मन में भी शै गलत की पहचान हो ,  और डर न रहे आँखों में , डर को ही डरना होगा , गंदी नजरों के दरिंदों को दुनिया से मिटाना होगा !! 

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