लड़कियों की आजादी (आत्मरक्षा )

लड़कियों की आजादी (आत्मरक्षा ) 

महाभारत के समय कोई कानून नहीं होता था तो किसी के घर की लड़की को छेड़ने पर लड़की का परिवार ही  पूरा खानदान ख़तम कर देता था और आज के समय में लड़कियां सिर्फ लड़ती आयीं हैं , देश तो आजाद हो गया पर लड़कियों को आजादी नहीं मिली , कभी बेटी को माँ की कोख में ही मार दिया जाता था , और लड़की पैदा हुई है लक्ष्मी न समझकर गांव वाले ताने दिया करते थे , उसके बाद लड़कियों की जल्दी शादी कर देनी चाहिए क्यूंकि कहीं वो कहीं नाक न कटवा दे ये सोचकर लड़की का विवाह कर दिया जाता था , फिर पढ़ाई के लिए लड़ी तो क्या करेगी लड़की पढ़ाई करके संभालना तो चूल्हा चौका ही है ये कहकर पढ़ने से मना कर दिया जाता था ,घर के रीती-रिवाजों से लड़ी ,पढ़ाई कर ली फिर कुछ बन जाने के लिए घर वालों से लड़ी और आगे नाम बनाती गयी , और आगे बढ़ी , घर वालों की तो सोच बदल भी गयी पर इस समाज में बैठे हुए उन दरिंदो की सोच को कैसे दरिंदगी से कैसे लड़ें कैसे समाज को बदलें , जो कि इस समाज पर ही धब्बा है , कितने वीडियो बनाएं , कितने पोस्ट करें , कितना चिल्लाएं कितनी शिकायतें करें ,

बचपन में एक सीरियल देखती थी आप बीती  और उसमे मरने के बाद हर लड़की आत्मा बन जाती थी , क्यूंकि इसी तरह के हादसे हुआ करते थे उनके साथ और वो अपना न्याय पाने के लिए खुद ही अपना बदला लेती थीं इससे लोगों की रूह तक काँप उठती है  , काश के ऐसा सच हो जाये , ताकि लोग किसी से उम्मीद न करें कि पुलिस वाले या जज इन्साफ करेगी , देखा जाये तो पुलिस भी उन लोगो के पीछे अपना समय खराब करती है , जो कि छोटे मोटे ठेले लगाते हैं तो उन्हें डंडे मार कर  भगाती है ,  ये पुलिस वाले जहां भी इस तरह कि गैंग नजर आती हैं उन को क्यों नहीं देखती ,पहले जब कोई रेप हुआ करता था , तो लड़कियों ने छोटे कपड़े पहने हुए थे , दोष लगाते थे , इतनी गिरी हुई सोच थी , उसके बाद जब किसी पर भी रेप होने लगे तो भी लड़कियों पर दोष लगाया गया , जब निर्भया के साथ दुष्कर्म हुआ तो सुनने में आया कि वो रात में बाहर क्यों गयी , आसिफा जो कि एक छोटी बच्ची थी उसके लिए कहा गया कि बच्चो को अकेले घर से बाहर क्यों जाने दिया , और अब जब हैदराबाद की प्रियंका रेड्डी के साथ बलात्कार हुआ और उसे ज़िंदा जला दिया गया तो एक मंत्री ने कहा कि वो डॉक्टर थी पढ़ी लिखी थी उसे अपनी बहन को फ़ोन नहीं करना चाहिए था बल्कि पुलिस को फ़ोन करना चाहिए था , पुलिस को फ़ोन करती तो क्या पुलिस वारदात से पहले पहुँच जाती , ऐसे कैसे सोच सकते हैं , ये लोग और तुम्हारे जैसे लोग जो इंसानियत की कदर नहीं करते हर बार लड़कियों पर ही दोष लगाते हैं , उसकी पढाई दिखा रही है ,अगर वो पढ़ी लिखी न होती तब भी तो एक लड़की है ,
हम लोग मोमबत्तियां जलाकर खड़े हो जाते हैं , पर कुछ नहीं कर सकते , क्यूंकि हम लोग कानून से डरे हुए हैं , पुलिस वाले अदालत से डरे हुए हैं , और अदालत सरकार से हर जगह डर का ही तो खौफ फैलाया हुआ है , अगर एक सख्त कानून बना दिया जाये ऐसे दरिंदो के हाथ पैर काट कर इनकी हालत पर छोड़ दिया जाये तो अपने आप पर शर्म आएगी इन्हे और मरने की भीख मांगेंगे , ऐसा कानून बनाना चाहिए !
कितने ही केस तो रजिस्टर्ड ही नहीं होते हैं , पर रैप तो होते हैं ,अपनी आत्मरक्षा खुद ही करनी चाहिए , में भी एक लड़की हूँ मुझे भी डर लगता है , में बाहर से न भी दिखाऊ लेकिन रात में जब भी ऑफिस से लेट हो जाती हूँ हमेशा भीड़ वाली जगह से घर जाना पसंद करती हूँ , और अगर ज्यादा लेट हो जाती हूँ तो किसी भी दोस्त को बोलती हूँ घर छोड़ने के लिए या फिर अपने भाई को बुलाती हूँ , ताकि सेफ घर पहुँच जाऊं , हर किसी लड़की को सेल्फ डिफेन्स कि ट्रेनिंग तो नहीं मिल सकती , और मिल भी जाए , तो जरुरी नहीं कि 4 , से 5  लड़कों के बीच वो बहस करे , इसलिए अपनी सुरक्षा खुद करें ,और भीड़ वाली जगह पर ही रात में सफर करें ,अगर आप रात में अकेली हैं और कोई कैब या कोई ऑटो लेती हैं तो उसकी लोकेशन अपने किसी खास को जरूर शेयर करें और फिर उस कैब में बैठें,क्यूंकि जहां हम रहते हैं हमे वहाँ उन गलियों के बारे में नहीं पता रहता जहां पर थोड़ी सी रात होने पर ही जानवर बैठे होते हैं, क्यूंकि जब तक आप जिन्दा हो लोग कुछ नहीं कहेंगे , क्यूंकि आप जवाब देने वाले हो , अगर मर गए तो आधी दुनिया मोमबत्ती जलायेगी और आधी तुम पर ही दोष लगएगी , मतलब मरने के बाद भी शांत नहीं होंगे !!


मेरे इस आर्टिकल को पढ़ रहा होगा मुझे लिखे न भी मिले कोई बात नहीं पर ये जरूर उम्मीद करूंगी कि आप इसे शेयर करें !!

सोमी

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