तू रुकना नहीं, तू झुकना नहीं




दिल ख्वाहिशें करता बहुत है 
बस किसी की सुनता नहीं ,

कहता है तू रुकना नहीं 
तू झुकना नहीं ,
हार जाना तूने सीखा नहीं ,
मंज़िल बहुत दूर है ,
पर पथ पर तुझे चलना है ,
मंज़िल पाने के लिए 
बहुत दूर तक चलना है ,

अब नहीं तुझको रुकना है ,
किनारा भी मिल जाएगा ,
नदी भी पार हो जाएगी,
पर हार मान कर बैठ जाना नहीं
ज़िंदगी से शिकायत भी होगी ,
पर फिर भी न रुकना तू
न रुकना तू , किसी के आगे न झुकना तू
एक दिन तेरी एहमियत भी होगी ,

हर सुख दुःख को देखने की तेरी आदत होगी 
हर पल में खुश रहकर जीना तेरी चाहत होगी ।।

दिल खवाहिशे करता बहुत है ,
कहता है ये तू रुकना नहीं 
तू झुकना नहीं ,
जीवन तो एक मिलना फिर बिछड़ना है 
ज़िंदगी के दो पहलु है 
इसमें गिरना फिर गिर कर उठना है
पर कभी तुम्हे न रुकना है।।

ज़िंदगी जैसे जियोगे वैसे ही 
महसूस करोगे , 
सुख है तो सुख दुःख है तो दुःख ,
जैसे एक फेलियर को अगर दूसरा फेलियर मिल जाता है 
तो उसे अकेलापन महसूस नहीं होता ,

तुझको भी किनारा मिल जाएगा ,
उस रब का इशारा मिल जायेगा ,
साथ चलने के लिए कोई अपना 
तुझे मिल जाएगा।

भरोसा कर उस रब पर जिसने तुझे धरती पर भेजा है ,
वो खुद रास्ता बन जाएगा ,
तुझे तेरी मंज़िल तक पहुंचाएगा !!
तू रुकना नहीं , 
तू झुकना नहीं ,
तू भी एक दिन मुस्काएगा 

ज़िन्दगी को गले से तू लगाएगा !!

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