हमराही हमसफ़र


हमराही हमसफ़र बन जाता है


कब कौन कहाँ कैसे मिल जाता है एक हम राही
कब हमसफर बन जाता है ,
पता ही नहीं चलता , सोचा करते थे जिन्हे ख़्वाबों में
कब ख्वाबों से निकलकर
वो हकीकत बन जाता है पता ही नहीं चलता ,
दूर रहकर भी कब करीब हो जाता है ,
एक दोस्त से कब इजहार बन जाता है
पता ही नहीं चलता , अक्सर बातें करते करते कब
आदत बन जाता है पता ही नहीं चलता
रास्तों का हम राही कब
मंजिल बन जाता है पता ही नहीं चलता ,
बारिश की बूंदो सा एहसास होता है
फूलों की खुशबू सा महसूस होता है ,
आँखों से कब दिल में उतर जाता है
पता ही नहीं चलता , जिस्म से छूकर
कब रूह में बस जाता है
पता ही नहीं चलता , जब एक हम राही
हमसफ़र बन जाता है !!

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