मृग और कस्तूरी

जंगल जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को 
कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दुरी को 
एहसास भी है पास उसका ,
चेहरा भी है याद उसका 
धड़कन भी नाम लिए जा रही है ,
आँखों से पानी बरस रहा है 
एक मृग अपनी चाहत को तरस रहा है 
खोज रहा है 
मिलने को कस्तूरी को !!
जंगल जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को 
कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दुरी को !!

है याद उसे अपनी कस्तूरी 
करनी है उससे ढेर सारी बाते जो 
रह गयी थी अधूरी ,
गुम हो गयी है न जाने कहाँ
बढ़ गयी है अब दोनों में दूरी,
घूम रहा है फिर भी उसे मनाने को 
ढूंढ रहा है उसे अपने पास बुलाने को ,
फिर से वही एहसास दिलाने को ,
जंगल जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को 
कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दुरी को !!

देखे है खुआब बहुत से ,अपनी चाहत के ,कैसे रह सकता है मृग,कस्तूरी से वो दूर ,
माँगा है आखिर उसे रब की इबादत से ,
उनकी मोहब्बत में तो बिछे हुए है फूल ,
दूर होकर भी दिल में धड़क रही है 
वो साँसे मुझमे ही ले रही है ,
वो दूर होकर भी पास बहुत है ,
मृग की चाहत में इम्तहान बहुत है ,
जंगल जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को 
कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दुरी को !!


सोमी

No comments

If you have any doubts please let me know
अगर आप मेरी मुस्कान से जुड़े कोई सवाल करना चाहते हैं तो मुझे बताये