अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम..
पहले प्रेम गुणों को देखकर होता था ,
और अब समय के साथ सब बदल जाता है
चाहता था जब ह्रदय साथ तुम्हारा
तब छोड़ दिया तुमने हाथ हमारा ,
जब चाहती थी दीदार तुम्हारा
तुम नहीं समझे प्रेम हमारा !!
जब तरस कर पूजा भावना ही मर चुकी है
तब तुम चले आये हो तरासने को प्रेम हमारा !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !
अब मुझको नहीं इंतज़ार तुम्हारा
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
जब नदी की तरह बहती थी
और ढूंढ़ती थी में किनारा !!
क्यों उस वक़्त पत्थर बनकर तुम सो जाते थे !
जब करती थी में इंतज़ार तुम्हारा !
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
जब जगती थी अँधेरी रातो में और करती थी मन को विचलित
बस रहता था ऐतबार तुम्हारा !
पर अब नहीं है कोई खुआब तुम्हारा !
अब नहीं करती इंतज़ार तुम्हारा !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
अब नहीं जगता कोई खुआब प्रियतम!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
सोमी
और अब समय के साथ सब बदल जाता है
चाहता था जब ह्रदय साथ तुम्हारा
तब छोड़ दिया तुमने हाथ हमारा ,
जब चाहती थी दीदार तुम्हारा
तुम नहीं समझे प्रेम हमारा !!
जब तरस कर पूजा भावना ही मर चुकी है
तब तुम चले आये हो तरासने को प्रेम हमारा !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !
अब मुझको नहीं इंतज़ार तुम्हारा
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
जब नदी की तरह बहती थी
और ढूंढ़ती थी में किनारा !!
क्यों उस वक़्त पत्थर बनकर तुम सो जाते थे !
जब करती थी में इंतज़ार तुम्हारा !
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
जब जगती थी अँधेरी रातो में और करती थी मन को विचलित
बस रहता था ऐतबार तुम्हारा !
पर अब नहीं है कोई खुआब तुम्हारा !
अब नहीं करती इंतज़ार तुम्हारा !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
अब नहीं जगता कोई खुआब प्रियतम!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार प्रियतम !!
सोमी
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