जरुरी तो नहीं
जरुरी तो नहीं हम जैसे चाहे ज़िन्दगी वैसे चले ,
पर ये भी तो जरुरी नहीं की ज़िन्दगी हमे हमेशा रुलाये
क्यों हर वक़्त सिर्फ रुलाती है
सिर्फ दर्द देती है
कोई ज़िन्दगी बनकर आता है
फिर दूर हो जाता है
क्यों हर बार वही दर्द मिलता है
क्यों कोई सपना पूरा नहीं होता
क्यों हर सपना अधूरा होता है
क्यों हर पल हम पर समाज का पेहेरा होता है
ज़िन्दगी में क्यों नहीं कोई सवेरा होता है
हर पल क्यों अँधेरा होता है !!
क्यों बस दर्द का पेहेरा होता है !!
क्यों हर वक़्त आंखों के आगे उनका चेहरा होता है।।
हर बार क्यों प्यार अधूरा होता है।।
हर बार क्यों प्यार अधूरा होता है।।
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