बस एक तू और कुछ भी नहीं

कैसे न मनाऊं तुझे ये ज़िन्दगी जब तुझसे है बनाई मेने
रह न पाऊँगी तेरे  बिन ये ज़िन्दगी तुझसे ही पायी मेने
पूरा हुआ नहीं कभी ख्वाब तो डर लगता है आज भी
जानती हूँ साथ दोगे तुम मेरा पर जाग उठती हूँ हर रात
तेरे बिन रातें सूनी हैं मेरी आज भी ,

खुवाब तो तेरे हैं इस जहां में पर तेरे ख्वाबों
में जीती हूँ में दुआ लेकर तेरे नाम की
जानती हूँ सहना मुश्किल है , तुम्हे मेरी फ़िक्र है
पर मेरी बातों में बस तेरा जिक्र है !!

कैसे न मनाऊं तुझे तू हर पल रहता है मेरे मन में
में करती हूँ जब जब बाते किसी से मेरे होठो पर तेरा
नाम है आज भी ,तेरा एहसास मेरे जेहन में है
क्यूंकि तेरा चेहरा है मेरे मन में आज भी !!

न जाने क्यों तुमसे वो बात नहीं हो रही
शायद अब खल रही है कोई कमी सी
दूरियां आ गयी हैं हमारे बीच शायद
अब नहीं हो रही मोहब्बत पहली सी !!

कुछ रिश्तों में मुनाफा नहीं होता
फिर भी हम अमीर होते हैं
पास रहते नहीं एहसास रहते हैं
दौलत न मिली सोहरत न मिली
कुछ नहीं चाहिए
कैसे हो ठीक तो हो , बस दो लब्जों की
याद चाहिए!!

कुछ नहीं मिलता मेरी बातों का जवाब मुझे
फिर भी तुझे याद करती हूँ
तू हो रहा है किसी और का फिर भी
तेरी बातें सर ऐ आम करती हूँ
जानती हूँ नहीं कोई प्यार तुझे
पर फिर भी तेरे खुश रहने की रब से फ़रियाद करती हूँ !!

अक्सर तलाशते रहे हम खुदको
पर कहीं न मिले , ऐ ज़िन्दगी तू कहीं नाराज तो नहीं
मुझसे , न खवाबों में हूँ न किसी की यादों में
बस रह गयी हूँ तो अपनी ही तन्हाई में !!

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