तेरी यादें


तेरा साया था

चाय का कप लिए , बाहर खिड़की में  झांकते हुए
वो जो बारिश की बूंदो को में देख रही थी ,
जो तेजी से खिड़की के शीशों पर पड़ रही थी , और उसकी धार
धीरे से उतर रही थी , जैसे कोई नदी बह रही हो और सागर ढूंढ रही थी वो ,
वहीँ पत्ते तेजी से हिल रहे थे लग रहा था जैसे पेड़ से कह रहे हों
छोड़ देने को , पर पेड़ जैसे उसका हाथ थामे हुए बोल रहा हो कि अभी मुझसे दूर नहीं जाने दूंगा तुम्हे
बाहर कि और झांकते हुए , कानो में तेजी से कुछ कहकर हवा ने मेरे बालो को उलझाया था ,
ऐसा लगा बिलकुल मुझको जैसे हवा नहीं वो तेरा साया था !!



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मैज पर रखी हुई डायरी जो कि हवा से खुलकर तेजी से उड़ने लगी थी
और में उसे दूर से देखने लगी थी ,
मानो मुझे अपनी और खींच रही हो जैसे बोल रही हो पुरानी यादों को पढ़ने को
पैन बड़ी तेजी से इधर उधर उड़ रहे थे , और जैसे ही में उसकी और बढ़ी
हवा तेजी से खिड़की को धक्का मारकर मेरे बालों को उड़ाने लगी
तभी डायरी मैज पर से गिर गयी और उड़ने लगी , में डायरी उठाकर रख रही थी कि
उसमे से एक गुलाब जो कि बिलकुल सुख गया था ,
और खुशबू उसकी यादों में ही कही खो गयी थी ,कुछ पत्ते भी उसके बिखरे पड़े थे
अपनी मोहब्बत बिखर गयी हो जैसे !
गुलाब रखा था जिस पेज पर उस पेज को बुक मार्क बनाकर आज भी रखा हुआ था मेने
वो बुक मार्क पर कुछ लिखा नहीं था बस एक छोटा सा दिल बना था ,
जिसमे तुम रहते थे कभी उस पेज को मेने खाली छोड़ दिया था कि कभी आओगे तुम तो
खुवाब लिखूंगी , कितना किया इंतज़ार लिखूंगी , रातों में जब सोई नहीं तुझे सोच कर वो तन्हाई वाली बात लिखूंगी अपने खालीपन की सौगात तेरे साथ लिखूंगी !!
पर इंतज़ार कभी खत्म हुआ ही नहीं और वो पन्ना blank  ही रह गया !!

                                                                         सोमी

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