स्वर्ग और नर्क
स्वर्ग और नर्क
एक दिन एक बूढी औरत जिसका नाम सुकन्या था और मरने की हालत में होती है और बचपन से ही उसने सीखा था कि इंसान की मौत के बाद उसे नर्क या स्वर्ग मिलता है और ये हमारे कर्मो का फल होता है ,
और मरने से पहले उन्हें कुछ दिन पहले से ही यमराज दिखाई देने लगते हैं , परन्तु बूढी सुकन्या को मरने के पहले कोई यमराज नहीं दिखते, और वो मर जाती है , वो मरने के बाद सोचती है कि मुझे या तो स्वर्ग ले जाया जायेगा या नर्क , तो चित्रगुप्त जब उनके बारे में अपने रजिस्टर में एंट्री कर रहे होते हैं तो उनका नाम न तो नर्क में होता है , और न ही स्वर्ग में , तभी चित्रगुप्त चौंक जाते हैं और यमराज के पास उनका सारा लेखा जोखा लेकर जाते हैं और यमराज को बताते हैं , कि इस औरत ने अपने जीवन में कोई भी गलत काम नहीं किया , कोई पाप नहीं किया , तो इनकी गिनती किसमें करू ,
तभी यमराज जोर से हंसने लगते हैं , और कहते हैं कि उन सुकन्या को हमारे पास लेकर आओ , और सुकन्या अंदर आती हैं तभी यमराज उन्हें कहते हैं कि
है देवी : आपने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया , जीवन भर सबकी सेवा की कर्म किये , इसलिए आपको ईश्वर के साथ उनकी सेवा करने का सुख प्राप्त हुआ है , आप ईश्वर के साथ खेलेंगी , उनके साथ उनकी सखी बनकर रहेंगी !!
सुकन्या खुश हो जाती है , और ईश्वर के घर की और यमराज के साथ चलने लगती है , तभी वो यमराज से पूछती है कि महाराज मेने सुना था कि इंसान को स्वर्ग और नर्क अपने जीवन में जीवित रहते ही भुगतने पड़ते हैं ,
ऐसा कैसे होता है,
तभी यमराज सुकन्या को अपने साथ नर्क की और ले जाते है और सुकन्या देखती है कि वहां से बहुत सारी आवाजें आ रही होती हैं लोग तेजी से चिल्ला रहे हैं चीख रहे हैं , रो रहे हैं और वहां जाकर देखती है कि लोग बहुत ज्यादा कमजोर हैं , और सूखे हुए हैं , तेजी से तड़प रहे हैं , तभी सुकन्या उनसे पूछती हैं कि आप लोग क्यों रो रहे हो , क्यों ऐसे तड़प रहे हो और आप लोगों कि ऐसी हालत क्यों है ,
तभी एक आदमी कहता है , क्या करें हम लोग हमने कितने महिनों से खाना नहीं खाया और भूख के मारे हमारी ये हालत है , तभी वहां सुकन्या को एक बहुत बड़ा मटका दिखता है जो कि १० फ़ीट लम्बा था और उसमे बहुत सारी खीर होती है , और ऐसे ही कई सारे भोजन के पतीले होते हैं जो कि १० -१० फ़ीट लम्बे होते हैं तो सुकन्या उनको बोलती है कि ये सब आपके सामने है तो आप ये क्यों नहीं खाते , तभी वो आदमी कहता है कि कैसे खाएं हममे से कोई भी उन पतीलों तक नहीं पहुँच सकता क्यूंकि वो इतना ऊँचा है , इसलिए ये हमने अपनी किस्मत मान ली है , कि हम ऐसे ही मर जायेंगे तड़प-तड़प कर !
और यमराज उसे स्वर्ग कि और लेकर जाते हैं ,
और स्वर्ग कि ओर जाते हुए सुकन्या को बहुत ही ख़ुशी सी होती है , और वो देखती है कि वहां पर लोग बहुत ही खुश हैं और हंस रहे हैं , बहुत ही खिलखिला रहे हैं , एक दूसरे के साथ खेल रहे हैं , तंदरुस्त हैं तभी सुकन्या देखती है कि वहाँ भी १०-१० फ़ीट ऊँचे पतीले रखे हुए हैं और वो भी वैसे ही खाने से भरे हुए हैं , तभी सुकन्या एक आदमी से पूछती है कि आप लोग इतने तंदरुस्त कैसे हैं , इतने खुश भी हैं कैसे तभी वो कहता है कि हम इन पतीलों का भोजन ही खाते हैं और रोज खीर और अच्छा भोजन खाते हैं तभी हम खुश और तंदरुस्त हैं , तो सुकन्या कहती है कि आप लोग इतने ऊँचे पतीलों में से भोजन कैसे करते हैं
तो आदमी कहता है कि हाँ ऊँचे तो हैं और हम में से कोई भी उन तक नहीं पहुँच पाता, और शुरू में हमने बहुत कोशिश की और गिरे , उठे फिर हमने देखा कि चारों और ये पेड़ पौधे जो लगे हुए हैं , जो कि ईश्वर ने हमे रास्ता दिखा रखा है ,इतने सारे पेड़ हैं उन पेड़ों को काट कर हमने एक सीढ़ी बनाई और उसको १० फ़ीट लम्बा बनाया और अब हम रोज यहां से खीर कहते हैं और भोजन भी करते हैं !
सुकन्या पूछती है कि वो जो भूख से विलख रहे हैं वो ऐसा क्यों नहीं करते , तभी यमराज कहते हैं कि जो लोग मेहनत करते हैं , कोशिश करते है और अपने कर्मो को करते हैं वो खुश रहते हैं और अपना रास्ता खुद बनाते हैं ,
और जो लोग आलसी होते हैं , कोशिश भी नहीं करते और दूसरों को दोस देते हैं या दूसरों पर निर्भर रहते हैं ,रास्तों को नहीं खोजते वो हमेशा दुखी रहते हैं !
यही कर्मो का फल होता है जैसा करते हो वैसा ही पाते हैं !!
स्वर्ग और नर्क धरती पर ही है अब आप सोच लीजिये कि आपको क्या करना है , रास्तों का इंतज़ार करना है बनने तक का या रास्ता खुद बनाना है मंज़िल तक पहुँचने का !!
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सोमी (merymuskan )
एक दिन एक बूढी औरत जिसका नाम सुकन्या था और मरने की हालत में होती है और बचपन से ही उसने सीखा था कि इंसान की मौत के बाद उसे नर्क या स्वर्ग मिलता है और ये हमारे कर्मो का फल होता है ,

तभी यमराज जोर से हंसने लगते हैं , और कहते हैं कि उन सुकन्या को हमारे पास लेकर आओ , और सुकन्या अंदर आती हैं तभी यमराज उन्हें कहते हैं कि
है देवी : आपने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया , जीवन भर सबकी सेवा की कर्म किये , इसलिए आपको ईश्वर के साथ उनकी सेवा करने का सुख प्राप्त हुआ है , आप ईश्वर के साथ खेलेंगी , उनके साथ उनकी सखी बनकर रहेंगी !!
सुकन्या खुश हो जाती है , और ईश्वर के घर की और यमराज के साथ चलने लगती है , तभी वो यमराज से पूछती है कि महाराज मेने सुना था कि इंसान को स्वर्ग और नर्क अपने जीवन में जीवित रहते ही भुगतने पड़ते हैं ,
ऐसा कैसे होता है,
तभी यमराज सुकन्या को अपने साथ नर्क की और ले जाते है और सुकन्या देखती है कि वहां से बहुत सारी आवाजें आ रही होती हैं लोग तेजी से चिल्ला रहे हैं चीख रहे हैं , रो रहे हैं और वहां जाकर देखती है कि लोग बहुत ज्यादा कमजोर हैं , और सूखे हुए हैं , तेजी से तड़प रहे हैं , तभी सुकन्या उनसे पूछती हैं कि आप लोग क्यों रो रहे हो , क्यों ऐसे तड़प रहे हो और आप लोगों कि ऐसी हालत क्यों है ,
तभी एक आदमी कहता है , क्या करें हम लोग हमने कितने महिनों से खाना नहीं खाया और भूख के मारे हमारी ये हालत है , तभी वहां सुकन्या को एक बहुत बड़ा मटका दिखता है जो कि १० फ़ीट लम्बा था और उसमे बहुत सारी खीर होती है , और ऐसे ही कई सारे भोजन के पतीले होते हैं जो कि १० -१० फ़ीट लम्बे होते हैं तो सुकन्या उनको बोलती है कि ये सब आपके सामने है तो आप ये क्यों नहीं खाते , तभी वो आदमी कहता है कि कैसे खाएं हममे से कोई भी उन पतीलों तक नहीं पहुँच सकता क्यूंकि वो इतना ऊँचा है , इसलिए ये हमने अपनी किस्मत मान ली है , कि हम ऐसे ही मर जायेंगे तड़प-तड़प कर !
और यमराज उसे स्वर्ग कि और लेकर जाते हैं ,
और स्वर्ग कि ओर जाते हुए सुकन्या को बहुत ही ख़ुशी सी होती है , और वो देखती है कि वहां पर लोग बहुत ही खुश हैं और हंस रहे हैं , बहुत ही खिलखिला रहे हैं , एक दूसरे के साथ खेल रहे हैं , तंदरुस्त हैं तभी सुकन्या देखती है कि वहाँ भी १०-१० फ़ीट ऊँचे पतीले रखे हुए हैं और वो भी वैसे ही खाने से भरे हुए हैं , तभी सुकन्या एक आदमी से पूछती है कि आप लोग इतने तंदरुस्त कैसे हैं , इतने खुश भी हैं कैसे तभी वो कहता है कि हम इन पतीलों का भोजन ही खाते हैं और रोज खीर और अच्छा भोजन खाते हैं तभी हम खुश और तंदरुस्त हैं , तो सुकन्या कहती है कि आप लोग इतने ऊँचे पतीलों में से भोजन कैसे करते हैं
तो आदमी कहता है कि हाँ ऊँचे तो हैं और हम में से कोई भी उन तक नहीं पहुँच पाता, और शुरू में हमने बहुत कोशिश की और गिरे , उठे फिर हमने देखा कि चारों और ये पेड़ पौधे जो लगे हुए हैं , जो कि ईश्वर ने हमे रास्ता दिखा रखा है ,इतने सारे पेड़ हैं उन पेड़ों को काट कर हमने एक सीढ़ी बनाई और उसको १० फ़ीट लम्बा बनाया और अब हम रोज यहां से खीर कहते हैं और भोजन भी करते हैं !
सुकन्या पूछती है कि वो जो भूख से विलख रहे हैं वो ऐसा क्यों नहीं करते , तभी यमराज कहते हैं कि जो लोग मेहनत करते हैं , कोशिश करते है और अपने कर्मो को करते हैं वो खुश रहते हैं और अपना रास्ता खुद बनाते हैं ,
और जो लोग आलसी होते हैं , कोशिश भी नहीं करते और दूसरों को दोस देते हैं या दूसरों पर निर्भर रहते हैं ,रास्तों को नहीं खोजते वो हमेशा दुखी रहते हैं !
यही कर्मो का फल होता है जैसा करते हो वैसा ही पाते हैं !!
स्वर्ग और नर्क धरती पर ही है अब आप सोच लीजिये कि आपको क्या करना है , रास्तों का इंतज़ार करना है बनने तक का या रास्ता खुद बनाना है मंज़िल तक पहुँचने का !!
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सोमी (merymuskan )
This is very good
ReplyDeleteThanks
DeleteNice story mam
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