बचपन के दिन (न किसी दर्द का पता , न कोई यादों का किस्सा )
बचपन के दिन (न किसी दर्द का पता , न कोई यादों का किस्सा )
कितने प्यारे थे वो स्कूल के दिन न किसी बाहर वालों के प्यार की जरूरत
न किसी की आस , न ही प्यार की प्यास
जानते ही नहीं थे की प्यार क्या होता है ,
रोना क्या है , हंसना क्या है ,
और सपने क्या होते है
बस मासूमियत थी मन में ,
दिल की कोई पहचान ही न थी
आँखों में आंसू थे तो खिलौने टूट जाने के ,
न दर्द का पता था ,
न यादों की अदा थी ,
न किसी का खुआब था ,मन में
न किसी के दूर जाने का डर था और
न किसी के लोट आने का इंतज़ार था जीवन में ,
न कोई किसी के दर्द में था ,
न किसी अजनबी के प्यार में
यंहा तो सभी पराये भी अपने थे ,
बहुत ही प्यारा अपना बचपन था ,
सुबह ५ बजे उठना , रात को १० बजे तक सो जाना
न रात रात भर तक किसी के लिए जागना ,
सुबह ७ बजते ही स्कूल का बेग उठाकर
स्कूल की और बढ़ जाना था ,
इतने सारे बच्चों में सभी अपने थे,
न किसी पर कोई फ़ोन था ,
न कोई किसी का दीवाना था ,
जो दोस्त साथ थे बस वही जाना पहचाना था ,
बस खुआब संजोया करते थे ,
छुट्टी होते ही घर की और भागते थे ,
,हर दिन एक नया सा लगता था ,
क्यूंकि कल की मैडम से पड़ी डाँट
को भी हमे भूल जाना था ,
क्यूंकि बचपन था और हर एक दिन हमे
मुस्कुराना था , क्यूंकि जीवन उज्वल बनाना था !!
नए ख्याबों को सजाना था !
पढ़ लिख कर कुछ करके दिखाना था !
न कोई शादी की चिंता थी ,
न कोई हमसफ़र का बहाना था ,
हमे तो बस सुबह स्कूल जाना था ,
और सबके साथ मस्ती करना , पढ़ना
दोस्त बनाना था ,
मैडम की डाँट पर मम्मी को सब बताना था ,
अब स्कूल नहीं जाना है , कभी पेट में दर्द है तो कभी
सर में दर्द है बस स्कूल न जाने का बहाना था ,
कभी रूठ जाना दोस्त से तो
एक ही चॉकलेट में मान जाना था ,
न कोई अपना था ,
न कोई पराया था
हमे तो जीवन उज्वल बनानां था ,
हमे तो जीवन उज्वल बनानां था !!
मासूमियत थी आँखों में
तितली की तरह उड़ जाना था ,
नए नए रंगो से चित्र के साथ
अपनी ही दुनिया को सजाना था !
न किसी की चाहत थी ,
न किसी के लिए दिल बेताब था ,
न कोई तड़प थी , न कोई याद
तड़प थी तो खेल की , तड़प थी तो जीत जाने की !!
अक्सर बारिश होने पर
बाहर भीगना था ,
और नाव की कस्ती को पानी में तैराना था ,
न कोई ऐसा बहाना था ,
न किसी के इंतज़ार में भीगने का सपना था ,
बस वो पानी ही अपना था
बस वो पानी ही अपना था ,
जिसमे कस्ती को तैराना था !!
ये कहाँ आ गए हम
हमे तो जीवन उज्वल बनांना था !!
#सोमी
#Sheetal_Singh
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https://hindi.pratilipi.com/user/sheetal-singh-ggqdpd0zon
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कितने प्यारे थे वो स्कूल के दिन न किसी बाहर वालों के प्यार की जरूरत
न किसी की आस , न ही प्यार की प्यास
जानते ही नहीं थे की प्यार क्या होता है ,
रोना क्या है , हंसना क्या है ,
और सपने क्या होते है
बस मासूमियत थी मन में ,
दिल की कोई पहचान ही न थी
आँखों में आंसू थे तो खिलौने टूट जाने के ,
न दर्द का पता था ,
न यादों की अदा थी ,
न किसी का खुआब था ,मन में
न किसी के दूर जाने का डर था और
न किसी के लोट आने का इंतज़ार था जीवन में ,
न कोई किसी के दर्द में था ,
न किसी अजनबी के प्यार में
यंहा तो सभी पराये भी अपने थे ,
बहुत ही प्यारा अपना बचपन था ,
सुबह ५ बजे उठना , रात को १० बजे तक सो जाना
न रात रात भर तक किसी के लिए जागना ,
सुबह ७ बजते ही स्कूल का बेग उठाकर
स्कूल की और बढ़ जाना था ,
इतने सारे बच्चों में सभी अपने थे,
न किसी पर कोई फ़ोन था ,
न कोई किसी का दीवाना था ,
जो दोस्त साथ थे बस वही जाना पहचाना था ,
बस खुआब संजोया करते थे ,
छुट्टी होते ही घर की और भागते थे ,
,हर दिन एक नया सा लगता था ,
क्यूंकि कल की मैडम से पड़ी डाँट
को भी हमे भूल जाना था ,
क्यूंकि बचपन था और हर एक दिन हमे
मुस्कुराना था , क्यूंकि जीवन उज्वल बनाना था !!
नए ख्याबों को सजाना था !
पढ़ लिख कर कुछ करके दिखाना था !
न कोई शादी की चिंता थी ,
न कोई हमसफ़र का बहाना था ,
हमे तो बस सुबह स्कूल जाना था ,
और सबके साथ मस्ती करना , पढ़ना
दोस्त बनाना था ,
मैडम की डाँट पर मम्मी को सब बताना था ,
अब स्कूल नहीं जाना है , कभी पेट में दर्द है तो कभी
सर में दर्द है बस स्कूल न जाने का बहाना था ,
कभी रूठ जाना दोस्त से तो
एक ही चॉकलेट में मान जाना था ,
न कोई अपना था ,
न कोई पराया था
हमे तो जीवन उज्वल बनानां था ,
हमे तो जीवन उज्वल बनानां था !!
मासूमियत थी आँखों में
तितली की तरह उड़ जाना था ,
नए नए रंगो से चित्र के साथ
अपनी ही दुनिया को सजाना था !
न किसी की चाहत थी ,
न किसी के लिए दिल बेताब था ,
न कोई तड़प थी , न कोई याद
तड़प थी तो खेल की , तड़प थी तो जीत जाने की !!
अक्सर बारिश होने पर
बाहर भीगना था ,
और नाव की कस्ती को पानी में तैराना था ,
न कोई ऐसा बहाना था ,
न किसी के इंतज़ार में भीगने का सपना था ,
बस वो पानी ही अपना था
बस वो पानी ही अपना था ,
जिसमे कस्ती को तैराना था !!
ये कहाँ आ गए हम
हमे तो जीवन उज्वल बनांना था !!
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Bachpan ki story...
ReplyDeleteDin bachpan K... 😊😊 Cute si sweet si story... Awesome story...
Keep it up... "sheetal somi"