खामोश दिल

ये मुमकिन है कि इसे अलफ़ाज़ नहीं मिल रहे
मगर सच तो ये है कि शब्दों के इस समंदर में
अब कोई नहीं डूबने को राज़ी है
जो हकीकत है मेरे दिल में उतरने वाले शख्स की आरजू
वो अब तक नहीं है वाकिफ मेरे शब्दों से
लगता है जैसे मेरे शब्दों की एहमियत ही नहीं है कोई उनकी नजरों में
वो मुस्कुरा भी जाते है तो मेरे मन में उनकी छवि बन जाती है
में तो कुछ कहती ही नहीं बस शब्दों से मेरी शायरी बन जाती है !!
सोमी
Post a Comment